Thursday, November 1, 2012

नितीश कुमार जी के नाम वसुधा केंद्र का एक खुला पत्र.


आदरणीय मुख्य मंत्री जी, (बिहार सरकार )

मै उम्मीद करता हूँ की आप सही सलामत से होंगें! आपके बारे में अक्सर मीडिया में पढने सुनने को मिलते रहता है, जिससे मुझे फक्र के साथ गुमान होता है की मैं कितना लकी निकला की आपके सुशासन के राज में मैं वसुधा केंद्र के रूप में बिहार में आपके द्वारा अवतरित हुआ ! हमे फक्र हो भी क्यूँ नहीं? आप ही तो हैं की दलित समाज को महादलित के रूप में अवतरित कर उनका कष्ट हरने का एक सराहनीये काम किया ! आप ही तो हैं की बिहार की बच्चियां जहाज के बदले सायकिल से आसमान को छू रहीं हैं ! ये आप ही की तो जलवा है की पूरा विश्व समुदाय आपकी बातों से प्रेरित हो नालंदा उनिवर्सिटी का वैभव लौटाने के लिए हर तरह से लालायित एवं प्रयासरत हैं ! बिहारियों की सपने को भी आपने बखूबी पूरा किया, किसी फ़िल्मी नेत्री के गाल जैसा बिहार में सड़क निर्माण कर के ! पूरा भारत आपको दुसरे हरित क्रांति का सूत्रधार मानने को विवश हो चला है ! आपके कृषि रोड मैप की चहु ओर प्रसंशा हो रही है ! और आपके धुन से लगता भी है की, बहुत शीघ्र हरेक भारत वासियों के थाली में एक बिहारी व्यंजन आवश्य होगा ! कैसे कोई नहीं मानेगा की आपने बिहार के स्वास्थ्य सेवाओं में आश्चर्य जनक सुधार किया है ! बिहार वासियों को वो काले दिन याद है- जब घर से जाते थे तो उनका लौटना संदिग्ध होता था ! लेकिन आपकी इच्छा शक्ति को दाद देनी पड़ेगी की आपने किस तरह से पुलिस तंत्र को मजबूत कर स्पीडी ट्रायल के सहारे उन अपराधियों को अन्दर करने का एक उन्नत दर्जे का काम किया ! पूरी दुनिया तब आपकी मुरीद हो गयी , जब विश्व के एक संपन्न हस्ती ने आपकी सराहना खुले दिल से एक अंतर्राष्ट्रीय मंच पर की ! आपको एक बेहतरीन अवार्ड के लिए भी नामित किया गया ! जो पोलिओ के विनाश के लिए था ! कोई कहता था की भ्रष्ट्राचार को किसी से डर नहीं लगता ! लेकिन हाल के दिनों में अब पुरे भारत को लग रहा है की, भ्रष्ट्राचार इस देश में पहली बार -नितीश नामक CM से डर रहा है ! तभी तो भ्रष्ट्राचार के आलिशान बिल्डिंगों में सरकारी विद्यालय खुल रहे हैं ! आप की विवेक की तारीफ तो उस बखत सबको करनी पड़ी जब- एक उत्तर भारतीय विरोधी , वयोवृद्ध हिन्दू वादी नेता -बाल ठाकरे ने मुंबई में होने वाले बिहार दिवस पर आपकी खुल कर तारीफ की ! आपके बारे में अक्सर सुना जाता है की आप “चुनौतियों को अवसर में बदल लेते हैं” ! और बिहार इसका जीता जागता उदाहरण है ! दिल गार्डेन- गार्डेन तब होता है जब आपके द्वारा सृजित योजनाओं को केंद्र सरकार पुरे देश में दुसरे नामों से लागु करती है ! आप न्याय के साथ विकास कर के नक्सली भाइयों को समाज के मुख्य धारा में लौटने के लिए प्रेरित किया !जिसके कुछ अच्छे परिणाम भी देखने को मिले ! प्रकृति के संसाधनों के आप एक सजग प्रहरी हैं! तभी तो आपने धरहरा गाँव को ढूढ़ निकाला ! दिल पुलकित हो उठा जब आपने कहा की “भगवान के पास जाऊंगा और वो पूछेंगे की- मेरा दिया हुआ पहाड़ को क्या किया , तब हम क्या जवाब देंगें “? और आपने अवैध खनन को हमेशा के लिए बंद कर दिया !

हे कृपानाथ, हे नीतियों के इश्वर -नितीश, हे विकास पुरुष, हे बिहार के सदर अब हमारी सुध कब लोगे ? मेरी (वसुधा केंद्र ) दशा और दिशा ठीक उसी प्रकार की हो गयी है जैसी कभी विप्र सुदामा की हुआ करती थी! मुझे खुले करीब पांच साल हो गए, मेरी संख्या भी राज्य में करीब ६५०० हो गयी है , लेकिन आमदनी के बदले सिर्फ और सिर्फ कम्पनी द्वारा शोषण किया जा रहा है ! अब लोग मुझ पर ताना और व्यंग कसते हैं, लोग मेरे v-set के छतरी को देख मुस्काते हैं! जो कम्पुटर मिला था G2C के लिए वो अब हन- हना कर बंद होने लगा है, बट्री भी बिलकुल बैठ चूका है! यानि यूँ समझिये की मैं बिलकुल अस्वस्थ व् दैनिये स्थिति में जा पहुंचा हूँ !मै संकट में हूँ! हे दुःखहरण देव -आपने जो हमारे लिए वादा किया था , वो शायद ऊपर के आपके द्वारा अर्जित उपलब्धियों ने विस्मृत कर दिया ! अब लगता है की आपको मेरी सुध नहीं रही ! मैं कैसे और कितनी बार कंहू की, मै किसी और का नहीं बल्कि आपकी उपज हूँ! मै फटेहाल में अपनी वेदना और प्रार्थना लेकर आपके पास आया हूँ ! चुकी मेरा देख रेख करने वाला नौकर (VLe ) फटेहाल में जी रहा है ! सुना भी है की आपके दर कोई खाली नहीं जाता ! इसका सीधा और सरल प्रमाण है रोहतास गढ़ किले की विकास के द्वारा पुनः वैभव की ओर वापसी करना! हे कृपा नंदन मेरी दशा की ओर ध्यान दें और मेरी दुखों का -मृत होने से पहले शीघ्रातिशीघ्र निवारण करें !

आपका कृपाकांक्षी

वसुधा केंद्र, (CSC )
राज्य- बिहार,

Sunday, September 16, 2012

(रमण सिंह कौन जो VLe से पैसा मांगे ?)स्रेई सहज का ” नोटिस भेजो – नोटिस भेजो” का खेल

बिहार राज्य में स्रेई सहज कंपनी द्वारा सरकारी निर्देशों के पश्चात् हवाई सपने दिखा कर बिहार के भोले -भाले 6000 कंप्यूटर शिक्षित और प्रशिक्षित नौजवानों को धोखेबाजी से वसुधा केंद्र खोलवाने का काम किया  ! सहज कंपनी ने चाइना मंडी जैसी -यूज एंड थ्रो कंप्यूटर एवं अन्य उपकरणों को सरकारी तंत्र के लापरवाही के कारण VLe को ऋण के रूप में मार्जिन मनी लेकर कर काफी उच्च दामों पे उपलब्ध कराने का काम किया ! सरकार सोती रही और “सहज” कम्पनी बिहार के वसुधा केंद्र के मासूम संचालकों को लुटती रही ! वर्तमान में 6000 हजार से ज्यादा केंद्र बिहार में खुल चुके हैं ! समय भी सात बरस से ज्यादा बीत चूका है! बिहार ने काफी लम्बे विकास के रास्ते को पार भी किया है! लेकिन वसुधा केंद्र -सहज कम्पनी तो कभी सरकार की ओर टक टकी  लगाये रहा , इस आस में की शायद सरकार और कम्पनी अपने किये वादों को पूरा कर वसुधा केन्द्रों को काम देने का सफल प्रयास करेगी,  साबुत के तौर पे वो कागज उपलब्ध है जिसमे सहज कम्पनी ने पुरे विस्तार में समझाया है  की, किस प्रकार वसुधा संचालक  – केंद्र खुलने के 6 महीने पश्चात् रुपया 20000 का
मासिक लाभ कमाएंगे! संचालकों को विश्वास करना भी लाजमी था की मुख्य मंत्री श्री नितीश कुमार ने खुद के अनगिनत भाषणों में वसुधा केंद्र से मिलने वाले सरकारी सेवाओं का जिक्र किया था ! केंद्र खुलने का शिलशिला जारी रहा एवं समय बीतता रहा !  सात साल गुजर गए , लेकिन संचालकों को 20 रुपया कमाना भी मुहाल की बात रही, घर की पूंजी लगानी पड़ी केन्द्रों को जीवित रखने के लिए ! क्या सरकार और सहज को नहीं पता की केंद्र को जीवित रखने के लिए चालक, कट्रिज, पेपर, उर्जा , नेट चार्ज एवं अन्य संसाधनों पे होने वाले खर्च को VLe द्वारा व्यक्तिगत रूप से  वहन किया जाता है ? किसको पता नहीं की एक अडाप्टर भी जलता है तो VLe  को उसके लिए 1200 रुपया खर्च करना पड़ता है ! कैमरा बिगड़ा तो हज़ार के निचे सोचना भी मुर्खता होगा की बनेगा! आज साधारण मजदुर की बेगारी भी 150 रुपया से निचे नहीं मिलती आठ घंटे के लिए ! अगर सरकार तथा सहज कम्पनी को इन सब बातों पे यकीन नहीं आता तो अपने CAG या किसी गुप्तचर संस्था से जाँच करा ले की अब तक वसुधा केंद्र संचालकों को इस केंद्र से कितना आमदनी प्राप्त हुआ है ! क्या सरकार को पता नहीं है की प्रखंड स्तर पे जन वितरण के कूपन स्कैनिंग के भुगतान सरकार के पास लंबित है, जो संचालकों को 04 पैसा प्रति कूपन के कम दर पे मिलना तय है ? क्या ” स्रेई सहज ” कम्पनी को इतला नहीं है की उसने बिना पूछे संचालकों का पैसा पोर्टल से अवैध रूप से हड़प लिया ? सहज ने फाल्स ई – लर्निंग का बिल बना कई संचालकों का पैसा पोर्टल से गायब किया ! जिस सम्बन्ध में देश स्तर पे सहज को बदनामी झेलनी पड़ी ! क्या सहज को मालूम नहीं की BELTRON  के निदेशक श्री के के पाठक (IAS ) ने किस प्रकार की उच्च स्तरीय जाँच बिठाया था ? अगर के० के० पाठक निदेशक के पद पे और चंद महीने रह गए होते तो शायद सहज का देशी मुखौटा चेहरे से उतर जाता ? सहज कम्पनी का मालिक देशी ( नालंदा- बिहार निवासी ) है, लेकिन इस कम्पनी की पूंजी विदेशी है ! ज्यादातर इस कम्पनी के निवेशक यूरोप से सम्बन्धित हैं ! और ये कम्पनी बड़ी कम्पनियों में शुमार की जाती है ! सहज ने जो कम्प्यूटर (विप्रो मेड ) उपलब्ध करायी उसकी वो कीमत 22000 रुपया लगाई है ! अब बात उठता है की वो कम्प्यूटर हमने किस लिए लिया था ? सीधी सी बात है की – बिजनेस परपस के लिए सहज ने हमें कम्प्यूटर तथा अन्य उपकरण उपलब्ध कराया था ! ये ग़ालिब की सच्चाई है की VLe का दिल वादों के अनुसार नहीं बहला पाया वादकारों ने !
हाल के दिनों में VLe  भाइयों की मेसेज मिलती है की, स्रेई सहज बिहार के वरीय अधिकारी रमण सिंह अपने वकालत के पढाई और अनुभव को बखूबी सहज के भला के लिए उपयोग कर रहे हैं ,संचालकों  पर नोटिस भेज कर कम्पनी के चहेते बनने की कोशिश कर रहे हैं ! नोटिस में जीकर है की ब्याज सहित दिए गए मूलधन को संचालक शीघ्र लौटाए ! नहीं तो क़ानूनी करवाई सभव हो सकती है !
रमण सिंह जी ” सौ चूहा खा के बिल्ली चली हज को “! किस लिए और किस करार पे आपने नहीं बल्कि कम्पनी ने ये ऋण संचालकों को दिया था? क्या सहज ने ये रकम हमे खेती करने के लिए दिया था ? क्या ये ऋण हमे बच्ची की शादी करने हेतु शुद पे मिला था ? या फिर ये रकम संचालक के बच्चे को आई० आई० टी० कराने हेतु दिया गया था ? अगर हाँ तो वो एकरारनामा की प्रति भी साथ में VLe को भेज देते, जिसमे इन बातों की जिक्र होती ! 
रमण सिंह जी ग़ालिब की उक्ति आप पे सटीक उद्धृत मालूम पड़ती है की ” हमे मालूम है ज़माने की हकीकत लेकिन ग़ालिब, दिल बहलाने का ख्याल अच्छा है “! शायद रमण सिंह जी को कार्यालय में उस दिन काम नहीं रहा होगा सो, टाइम पास या दिल को बहलाने के लिए ” नोटिस भेजो – नोटिस भेजो” का चोर सिपाही जैसा खेल – खेला  होगा मनोरंजन के रूप में ? 
रमण सिंह के बारे में मैं सुन रखा था की बड़े ही तेज तरार किसम के व्यक्ति हैं ! लेकिन ये नोटिस वाली खबर हमें मजबूर करता है इनको शातिर मानने के लिए ! हमें सारा सामान लोन के रूप में पंचायतों में कथित सरकारी सेवाओं को आम जनता तक  कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से पहुचाने हेतु दिया गया था ! और उससे प्राप्त आमदनी के हिस्से से ऋण राशी को किश्तानुसार भुगतान करना था ! अब रमण सिंह बताएं की VLe लोगों का पोर्टल बिजनेस के रूप में कितना खर्च और आमदनी बता रहा है ? अगर कमाई हुई है तो बताया जाये, सभी संचालक आपको पैसे वापस करेंगे ! अगर नहीं हुई है तो फिर आप अब इस ऋण राशी के भुगतान की चिंता छोड़ दीजिये तो ही बेहतर होगा ! अब उन संचालकों का क्या होगा जो 6 साल पहले सिस्टम लिया था ? क्या अब वो सिस्टम 6 साल बाद कामयाब है ? कोई सोच सकता है की वो सिस्टम अब ज़माने  के रफ़्तार के साथ दौड़ेगा ? अब जमाना 4G का आ चूका है, और बिना काम हुए सहज 1G का रिकवरी चाहता है ! मेरा सहज कम्पनी  को सुझाव मात्र होगा की अब, सहज सरकार के ऊपर दबाव बनाये ताकि फिर से ज़माने की रफ़्तार के साथ काम करने वाला कम्प्यूटर और साजो समान संचालकों को पुनः ऋण के रूप में उपलब्ध कराया जाये ! जिससे आनेवाले दिनों में आमदनी हो सके और सहज की ऋण की भरपाई संचालकों द्वारा की जा सके ! 
अगर स्रेई सहज ये सोच रहा है की उसकी पूंजी डूब रही है, तो ये कम्पनी की नादानी है! कौन लौटाएगा हमारे मुजफ्फरपुर के संचालक स्व० कृष्ण कुमार के जीवन लीला को ? जो बेरोजगारी की असहनीय दर्द को बर्दाश्त न कर आत्म हत्या कर लिया ! कौन लौटाएगा मेरे स्वर्णिम कैरियर को जो मैंने त्याग कर इस बिजनेस को अपनाया ? ऐसे कई अनुतरित सवालों की जवाब स्रेई सहज कम्पनी तथा बिहार सरकार को आनेवाले दिनों में देना होगा! ये नहीं चलेगा की आपका ही दर्द सिर्फ दर्द होता ! औरों की दर्द………………?
कुमार रवि रंजन
नोडल – VLe
रोहतास, बिहार

आखिर मिडिया क्यूँ कर रहा वसुधा केंद्र को नजरंदाज?


” बिहार में मीडिया स्वतंत्र नहीं है”

श्री मार्कंडेय काटजू,  अध्यक्ष -भारतीय प्रेस परिषद्
बिहार में सुशासन की चकाचौंध मिडिया को अपने चमकते हुए फ्लस से फुर्सत ही नहीं दे रहा की इनकी कैमरा का फ्लस कभी वसुधा केंद्र के समस्याओं पे चमके ! आखिर दिन भर सुशासन की जो इन्हें खबर लिखनी या चलानी पड़ती है !और आज के दुनिया में गरीब एवं लाचार लोगों की मीडिया कैसे संज्ञान ले सकती है, जिससे इनके लाभ पे विपरीत असर पड़ जाये ! ये हकीकत है की अख़बारों की अच्छी खासी आमदनी राज्य सरकार के विज्ञापनों से प्राप्त होती है और, ये भी एक हकीकत का हिस्सा है की, वसुधा केंद्र को मटिया मेट करने में वर्तमान राज्य सरकार ने अपने तरफ से  कोई कोर – कसर बाकि नहीं छोड़ी है ! सरकारी विज्ञापन बेशक मीडिया को -सरकार की चाटुकारिता करने पे विवश करती है ! अगर मीडिया थोड़ी हिम्मत कर के वसुधा केंद्र के समस्यायों को उजागर करती भी है, तो निश्चिततौर पर सरकारी हाथ इनका पीछा करना चालू कर देगा! ये बात खास कर तब जोर से चर्चा में विशेष रूप से आयी जब, प्रेस परिषद् के अध्यक्ष श्री मार्कंडेय काटजू ने तल्ख़ तेवर में सीधे तौर पे बिहार के सुशासन की सरकार पे यह कहते हुए हमला बोला था की ” बिहार में मीडिया स्वतंत्र नहीं है”! इनके इस बात से मानो जैसे सरकार और मिडिया के होश उड़ गए हों ! सरकार ने कहा की श्री काटजू झूठ बोल रहे हैं ! फिर श्री काटजू ने फैक्ट फिन्डिंग कमिटी बना डाला जाँच हेतु ! फिर क्या – देखते ही देखते करीब 200 पत्रकारों ने अपनी लिखित और मौखिक शिकायत से, सरकार और मीडिया दोनों के पसीने छुट गए ! इन पत्रकारों ने अपने ज्यादातर शिकायतों में कहा और लिखा है की “मीडिया द्वारा उन्हें इसलिए कोपभाजन का शिकार बनाया गया – क्यूँ की वो सरकार के कथनी और करनी के फासले को अपनी लेखनी से उजागर कर रहे थे! जो मीडिया को नागवार गुजरा”!
ये बातें हमें पूरी तरह आश्वस्त करती है की सरकारी दबाव ही वो मूल कारन है जो, मीडिया को विवश करता है सरकार के विरुद्ध न जाने के लिए ! और ये बात सबको मालूम है की वर्तमान सरकार द्वारा ही इस योजना को चालू कर बैक -फुट पे रखा गया ! और देखते ही देखते 6000 संचालकों के परिवार की जीविका दैनिये दशा में जा पहुंची ! क्या 6000 परिवारों की आजीविका की समस्या मीडिया के लिए समाचार नहीं है ? क्या वसुधा केंद्र के संचालक सरकारी वादों पे भरोसा कर के धोखा नहीं खाए हैं ? क्या मीडिया नहीं जानता की इसका जिम्मेवार अपने सुशासन बाबु हैं ? क्यूँ की इन्ही के गोल- मटोल वादों पे ऐतबार कर के वसुधा केंद्र संचालकों ने अपना बेसकिमती समय और पूंजी लगाया , जिसका न तो कोई वर्तमान है और ना ही भविष्य ! मीडिया के इस रवैये से हम सब संचालकों को यही लगता है की शायद हम सब किसी और देश या राज्य के शरणार्थी हैं और वसुधा केंद्र ले रखे हैं, जिसे शायद सरकार और मीडिया हजम नहीं कर पा रही !

Kumar Ravi Ranjan,
Rohtas, Bihar

Wednesday, August 1, 2012

One lakh Common Service Centres coming soon: Pilot


The government said that about 98,000 Common Service Centres (CSCs) that provide e-governance services to the public have already been set up in the country and the target of one lakh centres will be met soon.
“We will soon achieve the target of one lakh CSCs. Around 98,000 CSCs have been established as of now,” Minister of State for Communications and IT Sachin Pilot told reporters in New Delhi.
Part of the National e-Governance Plan (NeGP), CSCs aim to provide e-governance services, education and health services on a massive scale.
It will offer web-enabled e-governance services in rural areas, including application forms, certificates, and utility payments such as electricity, telephone and water bills.
As per data available on the Department of IT website, as of 30 April 2012, a total of 88,995 CSCs are operational in 33 states and Union territories.
The target to roll out one lakh CSCs was set for June 2011. However, the target has not been met as many of the CSCs have become non-operational due to termination of contracts, naxal activity and non-availability of connectivity, he said.
Pilot also inaugurated the Centre for e-Governance (CEG) in New Delhi today.
The Centre, which has been inaugurated after renovation, will be a platform for showcasing advancement in ICT domain especially in e-Governance, he said.
In addition, it is meant to be a staging platform for emerging technology areas.
Pilot said the CEG will be an effective platform for cross learning, sharing successes and failures in e-domain.
He urged the Department of Electronics and Information Technology (DeitY) to ensure that e-Governance does not remain a buzz word, but percolates down to the masses.
The CEG will be like a Hall of Fame for various e-projects, Secretary (DeitY), J Satyanarayana said.
The CEG will have 12 touch screen kiosks showcasing various projects like e-Mitra in Rajasthan, Akshaya in Kerala, Mee Seva in Andhra Pradesh and Passport Seva Project at Ministry of External Affairs.